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MYSTICAL | ENERGIZED | SACRED

मंगल यंत्र

मंगल यंत्र

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मंगल यंत्र :

यह कुंडली में अशुभ स्थान में बैठे मंगल के प्रकोप को शांत करता है। विधि अनुसार इसकी स्थापना से घर-परिवार में शुभता का आगमन होता है।

मंगल यंत्र के लाभ :

  • इसके प्रभाव से मंगल के शुभ प्रभाव में बढ़ोतरी होती है।
  • कर्ज से मुक्ति पाने के लिए इसकी पूजा करनी चाहिए।
  • गर्भधारण में दिक्कत आ रही महिलाओं को इसका पूजन करना चाहिए।
  • मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए भी मंगल यंत्र की पूजा से लाभ होता है।

मंगल का ज्योतिषीय महत्व :

ज्योतिष में मंगल को ऊर्जा, साहस, पराक्रम, युद्ध, भूमि, संपत्ति और महत्वाकांक्षा का कारक माना जाता है। यह हमारी शारीरिक शक्ति, पहल करने की क्षमता और चुनौतियों का सामना करने के तरीके को प्रभावित करता है। कुंडली में मंगल की शुभ स्थिति व्यक्ति को साहसी, ऊर्जावान और दृढ़ निश्चयी बनाती है, जबकि अशुभ स्थिति क्रोध, दुर्घटनाओं, कलह और संपत्ति संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है।

मंगल यंत्र का स्वरूप और प्रतीकात्मकता :

मंगल यंत्र आमतौर पर पीतल या तांबे की प्लेट पर उत्कीर्ण होता है। इसकी संरचना में विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियाँ और अंक होते हैं जो मंगल की ऊर्जा को केंद्रित करते हैं। यंत्र के मुख्य भाग इस प्रकार हैं:

  • बिंदु (Dot): यंत्र के केंद्र में स्थित बिंदु ब्रह्मांडीय ऊर्जा और मंगल की केंद्रीय शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह ऊर्जा और संकल्प का प्रतीक है।
  • त्रिकोण (Triangle): मंगल यंत्र में त्रिकोण प्रमुखता से बने होते हैं, जो ऊर्जा, शक्ति और गति का प्रतीक हैं। यह मंगल के अग्नि तत्व को भी दर्शाते हैं।
  • चतुर्भुज (Square): कुछ यंत्रों में चतुर्भुज भी बने होते हैं, जो स्थिरता, पृथ्वी तत्व और भौतिक संपत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • अंक (Numbers): यंत्र पर विशिष्ट अंक उत्कीर्ण होते हैं, जो मंगल की ऊर्जा आवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • बीज मंत्र (Beeja Mantra): यंत्र पर मंगल के सभी मंत्र संस्कृत में लिखे होते है, जो मंगल देव की ऊर्जा को आकर्षित और सक्रिय करने में सहायक होता है।

मंगल यंत्र के लाभ :

ऊपर बताए गए लाभों के अतिरिक्त, मंगल यंत्र के कुछ अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं:

  • साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि: यह यंत्र व्यक्ति को साहसी, निडर और आत्मविश्वासी बनाता है। यह डर और नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद करता है।
  • शारीरिक ऊर्जा और शक्ति में वृद्धि: मंगल ऊर्जा का प्रतीक है। इस यंत्र की पूजा से शारीरिक ऊर्जा, सहनशक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • कर्ज से मुक्ति: मंगल यंत्र विशेष रूप से कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। इसकी नियमित पूजा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और कर्ज चुकाने में आसानी होती है।
  • गर्भधारण में सहायक: जिन महिलाओं को गर्भधारण में कठिनाई आ रही है, उनके लिए मंगल यंत्र की पूजा लाभकारी मानी जाती है। यह प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर करने और स्वस्थ गर्भधारण में मदद कर सकता है।
  • मनचाहा जीवनसाथी: जिन लोगों को विवाह में बाधाएं आ रही हैं या जो मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें मंगल यंत्र की पूजा से लाभ हो सकता है। यह रिश्तों में अनुकूलता और प्रेम बढ़ाने में सहायक होता है।
  • भूमि और संपत्ति संबंधी लाभ: मंगल भूमि और संपत्ति का कारक है। इस यंत्र की पूजा से भूमि और संपत्ति संबंधी विवादों को हल करने और लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  • क्रोध और नकारात्मकता पर नियंत्रण: यदि किसी व्यक्ति को अत्यधिक क्रोध आता है या उसमें नकारात्मक विचार हावी रहते हैं, तो मंगल यंत्र की पूजा से इन भावनाओं को नियंत्रित करने और सकारात्मकता लाने में मदद मिल सकती है।
  • शत्रुओं पर विजय: मंगल साहस और शक्ति का प्रतीक है। इस यंत्र की पूजा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और विरोधियों को शांत करने में सहायक हो सकती है।
  • दुर्घटनाओं से बचाव: अशुभ मंगल दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। मंगल यंत्र की पूजा से दुर्घटनाओं से बचाव और सुरक्षा मिलती है।

मंगल यंत्र की पूजा विधि :

मंगल यंत्र की नियमित पूजा इसके लाभों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है:

  1. नित्य कर्म: प्रतिदिन सुबह या शाम को स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
  2. यंत्र के सामने बैठें: शांत मन से यंत्र के सामने आरामदायक आसन में बैठें।
  3. शुद्धिकरण: यंत्र पर गंगाजल या पवित्र जल छिड़कें।
  4. दीपक और धूप: यंत्र के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं और लाल रंग की सुगंध वाली धूप या अगरबत्ती लगाएं।
  5. पुष्प अर्पण: लाल रंग के फूल (जैसे गुड़हल, लाल गुलाब) यंत्र पर अर्पित करें।
  6. मंत्र जाप: मंगल देव के मंत्रों का जाप करें। सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है: "ॐ भौमाय नमः"। आप दिए गए बीज मंत्र "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" का भी जाप कर सकते हैं। अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार 108 बार या अधिक जाप करें।
  7. मंगल चालीसा या स्तोत्र का पाठ: यदि संभव हो, तो मंगल चालीसा या मंगल स्तोत्र का पाठ करें। यह मंगल देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
  8. भोग अर्पण: मंगल देव को लाल रंग की वस्तुएं जैसे गुड़, मसूर दाल या लाल मिठाई का भोग लगाएं।
  9. प्रार्थना: अंत में, हाथ जोड़कर मंगल देव से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनसे साहस, ऊर्जा, कर्ज मुक्ति और मनचाहा जीवनसाथी प्रदान करने की प्रार्थना करें।
  10. नियमितता: इस पूजा को नियमित रूप से करें, खासकर मंगलवार के दिन इसका विशेष महत्व है।

मंगल यंत्र की स्थापना विधि :

मंगल यंत्र को स्थापित करने के लिए सही विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि इसके पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकें:

  1. शुभ दिन और मुहूर्त का चयन: मंगल यंत्र की स्थापना के लिए मंगलवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन मंगल देव को समर्पित है। इसके अतिरिक्त, किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर मंगल नक्षत्र या अन्य शुभ मुहूर्त का चयन करना उत्तम होता है।
  2. स्थान का चुनाव: यंत्र को घर के दक्षिण दिशा में स्थापित करना आदर्श माना जाता है, क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिशा मंगल से संबंधित है। आप इसे अपने पूजा कक्ष, शयनकक्ष (यदि ऊर्जा और साहस की आवश्यकता हो), या किसी अन्य पवित्र स्थान पर स्थापित कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि यंत्र आसानी से दिखाई दे और उसकी नियमित पूजा संभव हो।
  3. शुद्धिकरण: स्थापना से पहले यंत्र और उस स्थान को गंगाजल या किसी अन्य पवित्र जल से शुद्ध करें। आप धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को भी शुद्ध कर सकते हैं।
  4. यंत्र की स्थापना:
    • एक साफ लाल रंग का कपड़ा लें और उसे स्थापना के स्थान पर बिछाएं। लाल रंग मंगल की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
    • यंत्र को कपड़े के ऊपर स्थापित करें।
    • मंगल देव का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे इस यंत्र में अपनी सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करें और आपको लाभ प्रदान करें।
  5. प्राण प्रतिष्ठा (वैकल्पिक): यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाएं। प्राण प्रतिष्ठा एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यंत्र में देवता की ऊर्जा को आह्वानित किया जाता है, जिससे यह और भी शक्तिशाली बन जाता है।

मंगल यंत्र के उपयोग में सावधानियां:

  • यंत्र की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। इसे हमेशा साफ और स्वच्छ रखें।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान यंत्र को छूने से बचना चाहिए।
  • यदि यंत्र किसी कारण से खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दें। खंडित यंत्र की पूजा फलदायी नहीं मानी जाती।
  • यंत्र पर किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु न रखें।
  • अपनी श्रद्धा और विश्वास को बनाए रखें। यंत्र की शक्ति आपके विश्वास और समर्पण पर भी निर्भर करती है।
  • मंगल एक उग्र ग्रह है, इसलिए इसकी पूजा सावधानीपूर्वक और विधिपूर्वक करनी चाहिए। यदि आपको कोई संदेह हो तो किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष:

मंगल यंत्र एक शक्तिशाली यंत्र है जो व्यक्ति को साहस, ऊर्जा, और भौतिक सुख-समृद्धि प्रदान करने में सहायक है। यह अशुभ मंगल के प्रभावों को शांत करता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। कर्ज से मुक्ति, गर्भधारण में सहायता, मनचाहा जीवनसाथी और भूमि-संपत्ति संबंधी लाभ प्राप्त करने के लिए इसकी नियमित पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। हालांकि, इसकी पूजा विधिपूर्वक और सावधानी से करनी चाहिए, और किसी भी संदेह की स्थिति में ज्योतिषी से मार्गदर्शन लेना उचित है।

यंत्र मेटल का बना हुआ है. यंत्र की साइज़ 3 इंच x 3 इंच है.

 

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