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MYSTICAL | ENERGIZED | SACRED

केतु यंत्र

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केतु यंत्र :

छाया ग्रह केतु के कुप्रभाव को कम करने के लिए इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी रहता है। कुंडली में केतु के अशुभ फल देने पर जातक को मानसिक और शारीरिक यातनाओं से बचाता है।

केतु यंत्र के लाभ :

जीवन के सभी पहलुओं में व्यक्ति को सफलता पाने में मदद करता है।
इसकी सहायता से शत्रु और नकारात्मक ऊर्जाओं पर विजय प्राप्त होती है।
इसकी पूजा करने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
केतु यंत्र की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है।
कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए यह अत्यंत लाभकारी और सिद्ध उपाय है।

केतु का ज्योतिषीय महत्व :

ज्योतिष में केतु को एक छाया ग्रह माना जाता है, जो चंद्रमा के दक्षिणी नोड का प्रतिनिधित्व करता है। इसका अपना कोई भौतिक स्वरूप नहीं है, लेकिन यह आध्यात्मिकता, वैराग्य, मोक्ष, अंतर्ज्ञान, रहस्य, और अचानक होने वाली घटनाओं का कारक माना जाता है। कुंडली में केतु की शुभ स्थिति व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से उन्नत, अंतर्ज्ञानी और सांसारिक मोह से मुक्त कर सकती है, जबकि अशुभ स्थिति भ्रम, भय, स्वास्थ्य समस्याएं और अलगाव की भावना पैदा कर सकती है।

केतु यंत्र का स्वरूप और प्रतीकात्मकता :

केतु यंत्र आमतौर पर अष्टधातु (आठ धातुओं का मिश्रण) या हल्के भूरे रंग की धातु की प्लेट पर उत्कीर्ण होता है। इसकी संरचना में विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियाँ और अंक होते हैं जो केतु की ऊर्जा को केंद्रित करते हैं। यंत्र के मुख्य भाग इस प्रकार हैं:

बिंदु (Dot): यंत्र के केंद्र में स्थित बिंदु ब्रह्मांडीय ऊर्जा और केतु की केंद्रित शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह मोक्ष और अंतर्ज्ञान का प्रतीक है।
त्रिकोण (Triangle): केतु यंत्र में त्रिकोण नीचे की ओर इंगित करते हुए बने हो सकते हैं, जो ऊर्जा के अवरोहण और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाते हैं।
ध्वजा (Flag): कुछ यंत्रों में ध्वजा जैसी आकृतियाँ बनी होती हैं, जो केतु के रहस्यमय और अप्रत्याशित स्वभाव का प्रतीक हो सकती हैं।
अंक (Numbers): यंत्र पर विशिष्ट अंक उत्कीर्ण होते हैं, जो केतु की ऊर्जा आवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बीज मंत्र (Beeja Mantra): यंत्र पर केतु का बीज मंत्र ("ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः") संस्कृत में लिखा होता है, जो केतु की ऊर्जा को आकर्षित और शांत करने में सहायक होता है।

केतु यंत्र के अतिरिक्त लाभ :

ऊपर बताए गए लाभों के अतिरिक्त, केतु यंत्र के कुछ अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं:

नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं पर विजय: यह यंत्र नकारात्मक प्रभावों और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
सकारात्मक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि: इस यंत्र की पूजा से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
सुख-शांति: यह यंत्र जीवन में शांति और सद्भाव लाने में मदद करता है। यह मानसिक अशांति और तनाव को कम करता है।
आध्यात्मिक उन्नति: केतु आध्यात्मिकता और मोक्ष का कारक है। इस यंत्र की उपासना से आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है और व्यक्ति सांसारिक मोह से मुक्त होता है।
अंतर्ज्ञान और दूरदर्शिता में वृद्धि: यह यंत्र अंतर्ज्ञान और भविष्य को भांपने की क्षमता को बढ़ाता है।
स्वास्थ्य लाभ: केतु तंत्रिका तंत्र और पैरों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में लाभप्रद माना जाता है। इसकी पूजा से इन अंगों को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
अचानक लाभ: केतु अप्रत्याशित लाभ और भाग्य परिवर्तन का भी कारक है। इस यंत्र की पूजा से अचानक धन प्राप्ति के योग बन सकते हैं।

केतु यंत्र की पूजा विधि :

केतु यंत्र की नियमित पूजा इसके लाभों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है:

नित्य कर्म: प्रतिदिन सुबह या शाम को स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ भूरे या चितकबरे रंग के वस्त्र धारण करें।
यंत्र के सामने बैठें: शांत मन से यंत्र के सामने आरामदायक आसन में बैठें।
शुद्धिकरण: यंत्र पर गंगाजल या काले तिल और सरसों के तेल मिश्रित जल को छिड़कें।
दीपक और धूप: यंत्र के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं और लोबान या गूगल की धूप जलाएं।
पुष्प अर्पण: भूरे या चितकबरे रंग के फूल (जैसे लाल चंदन के फूल) यंत्र पर अर्पित करें।
मंत्र जाप: केतु देव के मंत्रों का जाप करें। सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है: "ॐ केतवे नमः"। आप दिए गए बीज मंत्र "ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः" का भी जाप कर सकते हैं। अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार 108 बार या अधिक जाप करें।
केतु चालीसा या स्तोत्र का पाठ: यदि संभव हो, तो केतु चालीसा या केतु स्तोत्र का पाठ करें। यह केतु देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
भोग अर्पण: केतु देव को काले तिल, उड़द की दाल या तिल से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
प्रार्थना: अंत में, हाथ जोड़कर केतु देव से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनसे नकारात्मक प्रभावों को दूर करने, आध्यात्मिक उन्नति और सुरक्षा प्रदान करने की प्रार्थना करें।
नियमितता: इस पूजा को नियमित रूप से करें, खासकर मंगलवार के दिन इसका विशेष महत्व है।

केतु यंत्र की स्थापना विधि :

केतु यंत्र को स्थापित करने के लिए सही विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि इसके पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकें:

शुभ दिन और मुहूर्त का चयन: केतु यंत्र की स्थापना के लिए मंगलवार का दिन या केतु नक्षत्र को शुभ माना जाता है। किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर शुभ मुहूर्त ज्ञात करना उचित होता है।
स्थान का चुनाव: यंत्र को घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थापित करना आदर्श माना जाता है, क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिशा केतु से संबंधित है। आप इसे अपने पूजा कक्ष में या किसी शांत स्थान पर स्थापित कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि यंत्र आसानी से दिखाई दे और उसकी नियमित पूजा संभव हो।
शुद्धिकरण: स्थापना से पहले यंत्र और उस स्थान को गंगाजल या किसी अन्य पवित्र जल से शुद्ध करें। आप काले तिल और सरसों का तेल मिश्रित जल का उपयोग भी कर सकते हैं। धूप और लोबान जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।
यंत्र की स्थापना:
एक साफ भूरे या चितकबरे रंग का कपड़ा लें और उसे स्थापना के स्थान पर बिछाएं। ये रंग केतु से संबंधित हैं।
यंत्र को कपड़े के ऊपर स्थापित करें।
केतु देव का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे इस यंत्र में अपनी सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करें और आपको लाभ प्रदान करें।
प्राण प्रतिष्ठा (वैकल्पिक): यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाएं। प्राण प्रतिष्ठा एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यंत्र में देवता की ऊर्जा को आह्वानित किया जाता है, जिससे यह और भी शक्तिशाली बन जाता है।

केतु यंत्र के उपयोग में सावधानियां :

यंत्र की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। इसे हमेशा साफ और स्वच्छ रखें।
महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान यंत्र को छूने से बचना चाहिए।
यदि यंत्र किसी कारण से खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दें। खंडित यंत्र की पूजा फलदायी नहीं मानी जाती।
यंत्र पर किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु न रखें।
अपनी श्रद्धा और विश्वास को बनाए रखें। यंत्र की शक्ति आपके विश्वास और समर्पण पर भी निर्भर करती है।
केतु की पूजा में नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है। किसी भी संदेह की स्थिति में योग्य ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष :

केतु यंत्र उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक उपकरण है जो केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं। इसकी नियमित पूजा से जीवन में सकारात्मकता, शांति और सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है। हालांकि, इसकी पूजा विधिपूर्वक और सावधानी से करनी चाहिए, और किसी भी संदेह की स्थिति में योग्य ज्योतिषी से मार्गदर्शन लेना उचित है।

यंत्र मेटल का बना हुआ है. यंत्र की साइज़ 3 इंच x 3 इंच है.

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